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जगदम्बा के दर्शन

डण्ड भुज-डण्ड, प्रचण्ड नो खण्ड। प्रगट देवि, तुहि झुण्डन के झुण्ड। खगर दिखा खप्पर लियां, खड़ी कालका। तागड़दे मस्तङ्ग, तिलक मागरदे मस्तङ्ग। चोला जरी का, फागड़ दीफू, गले फुल-माल, जय जय जयन्त। जय आदि-शक्ति। जय कालका खपर-धनी। जय मचकुट छन्दनी देव। जय-जय महिरा, जय मरदिनी। जय-जय चुण्ड-मुण्ड भण्डासुर-खण्डनी, जय रक्त-बीज बिडाल-बिहण्डनी। जय निशुम्भ को दलनी, जय शिव राजेश्वरी। अमृत-यज्ञ धागी-धृट, दृवड़ दृवड़नी। बड़ रवि डर-डरनी ॐ

gav bharne ka mantr

                                                      Ghav bharne ka mantra                   sar sar vijai sar sar bandhu sat bar ,futte aan na upje ghav,                       sar rakhe shri ghorlh nath, sabd sancha pind kanch,                                     furo mantra isvro vacha. vidhi-jap siddhi 108 time.pryog k samya 7 bar mantr padh kar chot ya ghav per funk mare ghav jaldi bhar jayga.

सुलतान पीर साधना

मंत्र- jai -shivsankar बिस्मिल्लाहरहमानअरहीम। काला भैरो कबरीयाँ जटा। हत्थ कड़की मोड़े मढ़ा। यहाँ भेजूं भैरों यती। वही हाज़िर खड़ा। कक्की घोड़ी सब्ज लगाम। उत्ते चढ़ सखी सुलतान। सखी सुलतान की दुहाई। चले मन्त्र फुरे वाचा। देखां बाबा लक्ख दाता पीर। तेरे ईलम का तमाशा। मेरे गुरु का शब्द सांचा। विधि: ये 41 दिनों का अनुष्ठान है, इसमें 11 माला प्रतिदिन करनी है। लकड़ी के तखत पर सोना है।  ये अनुष्ठान ब्रस्पतिवार से आरम्भ करना है।  और प्रत्येक ब्रस्पतिवार को पीले मीठे चावल भी बांटने है। पांच दीपक सरसों के तेल के जलाकर जप करना है। मीठी रोटी सरसों के तेल में चपड़ कर कुत्तों को खिलानी है। जब अनुष्ठान पूरा होगा तब मीठी रोटी या चूरमे का परसाद 101 साधुओं को खिलाना है।  तभी से एक अलोकिक वाणी आपके कानों में पड़ने लगे गी. जो पूछोगे उसका  पूर्ण जवाब मिलेगा चाहे भविस्य का हो या भूत का।  और सुलतान पीर के आशीर्वाद से अगर लडकियां ही पैदा हो रही हो तो लड़का पैदा होगा।