आइए जानें, किस समस्या के लिए कौन से मंत्र का जाप करना फलदायक होता है। ध्यान रखें कि मंत्र आस्था से जुड़ा है और यदि आपका मन इन मंत्रों को स्वीकार करता है तभी इसका जाप करें। मंत्र जप करते समय शांत चित्त रहने का प्रयास करें।
कामाक्षा-मन्त्र
Get link
Facebook
X
Pinterest
Email
Other Apps
“ॐ नमः कामाक्षायै ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।” विधि- उक्त मन्त्र का किसी दिन १०८ बार जप कर, ११ बार हवन करें। फिर नित्य एक बार जप करें। इससे सभी प्रकार की सुख-शान्ति होगी।
उलटने का मन्त्र “ॐ उलटत नरसिंह, पलटत काया। ऐही ले नरसिंह तोहे बुलाया। जो मोर नाम करत, सो मरत-परत। भैरो चक्कर में, उलटी वेद उसी को लागे। कार दुहाई, बड़े वीर नरसिहं की दुहाई। कामरु कामाख्या देवी की दुहाई। अष्ट-भुजी देवी कालिका की दुहाई। शिव सत्-गुरु के वन्दे पायो।” विधि- उक्त मन्त्र के द्वारा आभिचारिक प्रयोगों का प्रभाव उलट दिया जाता है। कभी-कभी डाइन या ओझा, किसी का बुरा करने के लिए ‘कुछ’ प्रयोग कर देते हैं। ऐसी स्थिति में यदि उक्त मन्त्र का ‘जप’ किया जाए या ‘हवन’ किया जाए तो ‘प्रयोग’ करने वाले को उसकी ही शक्ति उलट कर वार करेगी। अपनी ही शक्ति के द्वारा वह भोगेगा। यह श्री नरसिंह मन्त्र है। अमावस्या की रात्रि में १००० आवृत्ति से हवन करके इस मन्त्र को जगा लेना चाहिए। इस मन्त्र का जप सर्वदा नहीं करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर ही करना चाहिए। Read more at: http://vadicjagat.in/?p=511 “ ॐ उलटत नरसिंह , पलटत काया। ऐही ले नरसिंह तोहे बुलाया। जो मोर नाम करत , सो मरत - परत। भैरो चक्कर में , उलटी वेद उसी को लागे। कार दुहाई , बड़े वीर नरसिहं की दुहाई। का...
“ओम नमो बैताल। पीलिया को मिटावे, काटे झारे। रहै न नेंक। रहै कहूं तो डारुं छेद-छेद काटे। आन गुरु गोरख-नाथ। हन हन, हन हन, पच पच, फट् स्वाहा।” विधिः- उक्त मन्त्र को ‘सूर्य-ग्रहण’ के समय १०८ बार जप कर सिद्ध करें। फिर
“या उस्ताद बैठो पास, काम आवै रास। ला इलाही लिल्ला हजरत वीर कौशल्या वीर, आज मज रे जालिम शुभ करम दिन करै जञ्जीर। जञ्जीर से कौन-कौन चले? बावन वीर चलें, छप्पन कलवा चलें। चौंसठ योगिनी चलें, नब्बे नारसिंह चलें। देव चलें, दानव चलें। पाँचों त्रिशेम चलें, लांगुरिया सलार चलें। भीम की गदा चले, हनुमान की हाँक चले। नाहर की धाक चलै, नहीं चलै, तो हजरत सुलेमान के तखत की दुहाई है। एक लाख अस्सी हजार पीर व पैगम्बरों की दुहाई है। चलो मन्त्र, ईश्वर वाचा। गुरु का शब्द साँचा।” विधि- उक्त मन्त्र का जप शुक्ल-पक्ष के सोमवार या मङ्गलवार से प्रारम्भ करे। कम-से-कम ५ बार नित्य करे। अथवा २१, ४१ या १०८ बार नित्य जप करे। ऐसा ४० दिन तक करे। ४० दिन के अनुष्ठान में मांस-मछली का प्रयोग न करे। जब ‘ग्रहण’ आए, तब मन्त्र का जप करे। यह मन्त्र सभी कार्यों में काम आता है। भूत-प्रेत-बाधा हो अथवा शारीरिक-मानसिक कष्ट हो, तो उक्त मन्त्र ३ बार पढ़कर रोगी को पिलाए। मुकदमे में, यात्रा में-सभी कार्यों में इसके द्वारा सफलता मिलती है।
Is kitab ka baaki mantra bhataiye
ReplyDelete