आइए जानें, किस समस्या के लिए कौन से मंत्र का जाप करना फलदायक होता है। ध्यान रखें कि मंत्र आस्था से जुड़ा है और यदि आपका मन इन मंत्रों को स्वीकार करता है तभी इसका जाप करें। मंत्र जप करते समय शांत चित्त रहने का प्रयास करें।
कामाक्षा-मन्त्र
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“ॐ नमः कामाक्षायै ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।” विधि- उक्त मन्त्र का किसी दिन १०८ बार जप कर, ११ बार हवन करें। फिर नित्य एक बार जप करें। इससे सभी प्रकार की सुख-शान्ति होगी।
उलटने का मन्त्र “ॐ उलटत नरसिंह, पलटत काया। ऐही ले नरसिंह तोहे बुलाया। जो मोर नाम करत, सो मरत-परत। भैरो चक्कर में, उलटी वेद उसी को लागे। कार दुहाई, बड़े वीर नरसिहं की दुहाई। कामरु कामाख्या देवी की दुहाई। अष्ट-भुजी देवी कालिका की दुहाई। शिव सत्-गुरु के वन्दे पायो।” विधि- उक्त मन्त्र के द्वारा आभिचारिक प्रयोगों का प्रभाव उलट दिया जाता है। कभी-कभी डाइन या ओझा, किसी का बुरा करने के लिए ‘कुछ’ प्रयोग कर देते हैं। ऐसी स्थिति में यदि उक्त मन्त्र का ‘जप’ किया जाए या ‘हवन’ किया जाए तो ‘प्रयोग’ करने वाले को उसकी ही शक्ति उलट कर वार करेगी। अपनी ही शक्ति के द्वारा वह भोगेगा। यह श्री नरसिंह मन्त्र है। अमावस्या की रात्रि में १००० आवृत्ति से हवन करके इस मन्त्र को जगा लेना चाहिए। इस मन्त्र का जप सर्वदा नहीं करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर ही करना चाहिए। Read more at: http://vadicjagat.in/?p=511 “ ॐ उलटत नरसिंह , पलटत काया। ऐही ले नरसिंह तोहे बुलाया। जो मोर नाम करत , सो मरत - परत। भैरो चक्कर में , उलटी वेद उसी को लागे। कार दुहाई , बड़े वीर नरसिहं की दुहाई। का...
‘ मन्त्र - विद्या ’ का प्रयोग करने वाले को देहाती भाषा में ‘ ओझा ’ कहते हैं : ‘ ओझा ’ भी जब झाड़ - फूँक ले लिए कहीं जाता है , तो घर से चलते समय या उस स्थान पर पहुँच कर सबसे पहले अपने शरीर की रक्षा के लिए शरीर - रक्षा का मन्त्र पढ़ लेता है , जिससे यदि उस स्थान पर भूत - प्रेतादि का उपद्रव हो , तो उसे हानि न पहुँचा
“ओम नमो बैताल। पीलिया को मिटावे, काटे झारे। रहै न नेंक। रहै कहूं तो डारुं छेद-छेद काटे। आन गुरु गोरख-नाथ। हन हन, हन हन, पच पच, फट् स्वाहा।” विधिः- उक्त मन्त्र को ‘सूर्य-ग्रहण’ के समय १०८ बार जप कर सिद्ध करें। फिर
Is kitab ka baaki mantra bhataiye
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