उलट वार मन्त्र
उलटने का मन्त्र
“ॐ उलटत नरसिंह, पलटत काया। ऐही ले नरसिंह तोहे बुलाया। जो मोर नाम करत, सो
मरत-परत। भैरो चक्कर में, उलटी वेद उसी को लागे। कार दुहाई, बड़े वीर
नरसिहं की दुहाई। कामरु कामाख्या देवी की दुहाई। अष्ट-भुजी देवी कालिका की
दुहाई। शिव सत्-गुरु के वन्दे पायो।”
विधि- उक्त मन्त्र के द्वारा आभिचारिक प्रयोगों का प्रभाव उलट दिया जाता
है। कभी-कभी डाइन या ओझा, किसी का बुरा करने के लिए ‘कुछ’ प्रयोग कर देते
हैं। ऐसी स्थिति में यदि उक्त मन्त्र का ‘जप’ किया जाए या ‘हवन’ किया जाए
तो ‘प्रयोग’ करने वाले को उसकी ही शक्ति उलट कर वार करेगी। अपनी ही शक्ति
के द्वारा वह भोगेगा। यह श्री नरसिंह मन्त्र है। अमावस्या की रात्रि में
१००० आवृत्ति से हवन करके इस मन्त्र को जगा लेना चाहिए। इस मन्त्र का जप
सर्वदा नहीं करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर ही करना चाहिए।
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“ॐ उलटत नरसिंह,
पलटत काया। ऐही
ले नरसिंह तोहे
बुलाया। जो मोर नाम
करत, सो मरत-परत। भैरो चक्कर
में, उलटी वेद
उसी को लागे।
कार दुहाई, बड़े
वीर नरसिहं की
दुहाई। कामरु कामाख्या देवी
की दुहाई। अष्ट-भुजी देवी कालिका
की दुहाई। शिव
सत्-गुरु के
वन्दे पायो।” विधि-
उक्त मन्त्र के
द्वारा आभिचारिक प्रयोगों का
प्रभाव उलट दिया
जाता है। कभी-कभी डाइन या
ओझा, किसी का
बुरा करने के
लिए ‘कुछ’ प्रयोग
कर देते हैं।
ऐसी स्थिति में
यदि उक्त मन्त्र
का ‘जप’ किया
जाए या ‘हवन’
किया जाए तो
‘प्रयोग’ करने वाले
को उसकी ही
शक्ति उलट कर
वार करेगी। अपनी
ही शक्ति के
द्वारा वह भोगेगा। यह
श्री नरसिंह मन्त्र
है। अमावस्या की
रात्रि में १०००
आवृत्ति से हवन करके
इस मन्त्र को
जगा लेना चाहिए।
इस मन्त्र का
जप सर्वदा नहीं
करना चाहिए। आवश्यकता पड़ने
पर ही करना
चाहिए।
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